औली: जहां उत्सव है ठंड
पंकज घिल्डियाल
धुंध में लिपटे बादल और बर्फ की चादर ओढ़े पहाड़ों का अद्भुत सौन्दर्य। आसमां छूते ऊंचे-ऊंचे पर्वत। हरे-भरे खेत, छोटे-बड़े देवदार के पेड़ों के बीच दूर-दूर तक दिखती बर्फीली चोटियों के दिलकश नजारे। ठंडी हवाओं के झौंके लिए यह जगह है औली।
जोशीमठ से 16 किमी दूर आगे औली उत्तराख्ंाड के ऊपरी भाग में स्थित है। यहां सिर्फ बर्फ ही नहीं, साथ में है भरपूर हरियाली। ऊंची-नीची पहाड़ियों पर बिछी मुलायम हरी घास, पतले और घुमावदार रास्ते और जहां तक नजर आए, वहां तक केवल पहाड़ ही दिखते हैं। यहां पर कपास जैसी मुलायम बर्फ पड़ती है और सैलनियों को यही प्राकृतिक नजारा बेहद लुभाता है।
औली, न सिर्फ घूमने-फिरने के लिहाजा से एक खूबसूरत जगह है, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्कीइंग के लिए एक जाना पहचाना नाम भी है। हर साल फरवरी के अंत में यहा स्कीइंग फेस्टिवल का भी आयोजन किया जाता है। यहां छोटी अवधि के स्कीइंग ट्रेनिंग कोर्स भी करवाए जाते हैं। बर्फबारी के साथ एंडवेंचर का आनंद उठाना हो तो देश में औली जैसा कोई डेस्टिनेशन नहीं। वैसे तो देश में अन्य जगहों पर भी स्कीइंग आनंद लिया जा सकता है, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय मानकों पर यहां के स्लोप पहली कतार पर आते हैं। यही वजह है कि देश के ही नहीं, बल्कि विदेशी सैलानी भी यहां स्कीइंग फेस्टिवल में शामिल होना चाहते हैं।
सैलानियों को यहां आकर लगता है, जैसे उन्हें ट्रैवल कॉम्बो मिल गया। सच भी है। जहां एक ओर बर्फीले पहाड़ हैं, वहीं शहरों से दूर शांत वातावरण लिए एडवेंचर के शौकीनों के लिए एक मदमस्त सैरगाह। औली आने वाले सैलानियों के बीच यह बात काफी चर्चित है कि अब स्विटजरलैंड नहीं भी गए तो कोई मलाल नहीं। औली को देखना उसे महसूस करना और उसे जीना एक अलग अनुभव देता है। भले ही यह स्थान स्विटजरलैंड जैसा विकसित न हो पाया हो, मगर औली और उसके समीप गुरसौं के कई स्थान स्विटजरलैंड को टक्कर देते हैं। औली आकर आप नंदा देवी पर्वत के दर्शन कर सकते हैं तो वहीं नील कंठ पर्वत और माणा पर्वत के मनमोहक नजारों का लुत्फ उठा सकते हैं।
स्कीइंग के लिए मशहूर औली में आपको वे जरूरी सामान मिल जाएंगे, जो स्कीइंग के लिए आवश्येक होते हैं। औली उत्तराखंड के चमौली जिले में स्थित है, जो समद्रुतल से लगभग 3050 मीटर ऊंचाई पर है। वहीं नंदा देवी पर्वत भी दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वतों में से एक में शामिल है। इसकी ऊंचाई समुद्रतल से लगभग 7816 मीटर है। जैसे-जैसे हम औली से आगे बढ़ते हैं एक से बढ़कर सुंदर बुग्याल (स्थानीय शब्द) देखने को मिलते हैं। बुग्याल यानी घास के मैदान। ये ऐसे बुग्याल हैं, जो ढलानों पर स्थित हैं। इन्हीं बुग्यालों की वजह से औली को विश्वस्तरीय स्तर का स्कीइंग डेस्टिनेशन माना जाता है।
स्नो पैकिंग मशीन और स्नो बीटर की सहायता से इन ढलानों को नियमित रूप से समतल किया जाता है। यहां के पहाड़ साल में अधिकतर समय बर्फ से ढके रहते हैं। यदि आप स्कीइंग के शौकीन नहीं हैं तो आपको गर्मियों में प्राकृतिक सुंदरता देखने आना चाहिए। एक से बढ़कर एक सुंदर बुग्याल देख कर आपका मन कहेगा कि और आगे बढ़े। आप चाहें तो औली में रोपवे का आनंद भी उठा सकते हैं। इस रोपवे की खास बात यह है कि चार किलोमीटर लंबा है और दुनिया के सबसे ऊंचे और लंबे रोपवे में से यह भी एक है। एडेंचर पार्क में आपने अब तक हवा में कलाबाजियां की होंगी। मगर प्रकृति के इस अद्भतु नजारे के साथ हवा में तैरती चेयर कार अलग ही रोमांच लाती है। यहां एक हनुमान मंदिर भी है, इसके बारे में कहा जाता है संजीवनी लाते हुए इन्होंने यहां कुछ देर विश्राम किया था। और भी कई धार्मिक कारणों से पहले औली को जाना जाता है, पर सच्चाई यही है अब यह एक पर्यटक स्थल है।
औली के प्वॉइंट 10 के बाद आप ट्रेकिंग का आनंद ले सकते हैं। आप चाहें तो आप सीधे रोपवे से जोशीमठ से प्वॉइंट 10 तक पहुंच सकते हैं। यहां से गुरसौं बुग्याल की ट्रेकिंंग की जाती है। प्वॉइंट10 समुद्रतल से करीब 3100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। प्वॉइंट 10 से आगे बढ़ने पर आप जंगल की ओर बढ़ते हैं, जहां कुछ दूरी पर पडियार देवता का मंदिर है। अगर आप बिना गाइड के आगे बढ़ रहे हैं तो स्थिति का सही जायजा हो इसके लिए लैंडमार्क के रूप मंदिर की स्थिति को ध्यान रखना चाहिए। थोड़ी ही दूरी के बाद जंगल खत्म होते ही शुरू होते हैं बेहद खूबसूरत बुग्याल। ँ्रपहले गुरसौं फिर ताली और बाद में चित्रकंठा। इन सभी बुग्यालों की अपनी विशेषता है।
स्की ट्रेनिंग
गढ़वाल मंडल विकास निगम ने यहां स्की सिखाने की व्यवस्था की है। मंडल द्वारा सात दिन की नॉन-सर्टिफिकेट और 14 दिन की सर्टिफिकेट ट्रेनिंग दी जाती है। यह ट्रेनिंग हर वर्ष जनवरी-मार्च में दी जाती है। अधिक जानकारी के लिए इनकी वेबसाइट से संपर्क किया जा सकता है-http://www.gmvnl.in/newgmvn/sports/courseprogramme.aspx#snowskiing
यहां के कुछ अन्य रिजॉर्ट स्कीइंग के अलावा रॉक क्लाइम्बिंग, फोरेस्ट कैम्पिंग और घोडे़ की सवारी आदि के लिए व्यवस्था करते हैं।
कैसे जाएं:
करीबी रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है और हवाई अड्डा देहरादून का जॉली ग्रांट।
सड़क मार्ग: ऋषिकेश से औली पहुंचने में 8 से 9 घंटे का समय लगता है। ऋषिकेश से औली की दूरी लगभग 270 किलोमीटर है। ऋषिकेश-देवप्रयाग-श्रीनगर-रुद्रप्रयाग-गौचर-कर्णप्रयाग-नंदप्रयाग-चमौली-पीपलकोटी-जोशीमठ-औली।
कब जाएं-
स्कीइंग और बर्फ के लिए दिसंबर से मार्च तक यहां जा सकते हैं। ध्यान रहे कि कभी-कभी तापमान शून्य से नीचे आ जाता है। जून में तापमान करीब 15 डिग्री रहता है।
रोपवे: जोशीमठ से औली तक रोपवे से भी पहुंच सकते हैं। रोपवे से औली पहुंचना सचमुच अलग ही अनुभव देता है। इसके लिए केबल कार से प्रति व्यक्ति 750 रुपए का खर्च आता है, वहीं चेयर लिफ्ट से 300 रुपए प्रति व्यक्ति।
कहां ठहरें:
यहां ठहरने के लिए गढ़वाल मंडल निगम रिजॉर्ट के अलावा कई अन्य ठहरने की व्यवस्था है।
क्या खाएं: औली, नंदा देवी के बेहद करीब है। यहां अधिकतर स्थानों पर शाकाहारी भोजन ही मिलता है।
क्या न भूलें: टोपी, मोजे, दस्ताने, मफलर, स्वेटर, विंड प्रूफ जैकेट, सनग्लासेज, गम बूट, टॉर्च आदि ले जाना ना भूलें।
कहां रुकें
दिल्ली से औली जाते समय रास्ते में रुद्रप्रयाग रुका जा सकता है। रूद्रप्रयाग से औली आगे पहुंचने के लिए साढे चार घंटे का समय लगता है।
लेख की सभी तस्वीरें गूगल से साभार
धुंध में लिपटे बादल और बर्फ की चादर ओढ़े पहाड़ों का अद्भुत सौन्दर्य। आसमां छूते ऊंचे-ऊंचे पर्वत। हरे-भरे खेत, छोटे-बड़े देवदार के पेड़ों के बीच दूर-दूर तक दिखती बर्फीली चोटियों के दिलकश नजारे। ठंडी हवाओं के झौंके लिए यह जगह है औली।
Auli: favorite destination for sking adventure sports. |
जोशीमठ से 16 किमी दूर आगे औली उत्तराख्ंाड के ऊपरी भाग में स्थित है। यहां सिर्फ बर्फ ही नहीं, साथ में है भरपूर हरियाली। ऊंची-नीची पहाड़ियों पर बिछी मुलायम हरी घास, पतले और घुमावदार रास्ते और जहां तक नजर आए, वहां तक केवल पहाड़ ही दिखते हैं। यहां पर कपास जैसी मुलायम बर्फ पड़ती है और सैलनियों को यही प्राकृतिक नजारा बेहद लुभाता है।
औली, न सिर्फ घूमने-फिरने के लिहाजा से एक खूबसूरत जगह है, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्कीइंग के लिए एक जाना पहचाना नाम भी है। हर साल फरवरी के अंत में यहा स्कीइंग फेस्टिवल का भी आयोजन किया जाता है। यहां छोटी अवधि के स्कीइंग ट्रेनिंग कोर्स भी करवाए जाते हैं। बर्फबारी के साथ एंडवेंचर का आनंद उठाना हो तो देश में औली जैसा कोई डेस्टिनेशन नहीं। वैसे तो देश में अन्य जगहों पर भी स्कीइंग आनंद लिया जा सकता है, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय मानकों पर यहां के स्लोप पहली कतार पर आते हैं। यही वजह है कि देश के ही नहीं, बल्कि विदेशी सैलानी भी यहां स्कीइंग फेस्टिवल में शामिल होना चाहते हैं।
सैलानियों को यहां आकर लगता है, जैसे उन्हें ट्रैवल कॉम्बो मिल गया। सच भी है। जहां एक ओर बर्फीले पहाड़ हैं, वहीं शहरों से दूर शांत वातावरण लिए एडवेंचर के शौकीनों के लिए एक मदमस्त सैरगाह। औली आने वाले सैलानियों के बीच यह बात काफी चर्चित है कि अब स्विटजरलैंड नहीं भी गए तो कोई मलाल नहीं। औली को देखना उसे महसूस करना और उसे जीना एक अलग अनुभव देता है। भले ही यह स्थान स्विटजरलैंड जैसा विकसित न हो पाया हो, मगर औली और उसके समीप गुरसौं के कई स्थान स्विटजरलैंड को टक्कर देते हैं। औली आकर आप नंदा देवी पर्वत के दर्शन कर सकते हैं तो वहीं नील कंठ पर्वत और माणा पर्वत के मनमोहक नजारों का लुत्फ उठा सकते हैं।
स्कीइंग के लिए मशहूर औली में आपको वे जरूरी सामान मिल जाएंगे, जो स्कीइंग के लिए आवश्येक होते हैं। औली उत्तराखंड के चमौली जिले में स्थित है, जो समद्रुतल से लगभग 3050 मीटर ऊंचाई पर है। वहीं नंदा देवी पर्वत भी दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वतों में से एक में शामिल है। इसकी ऊंचाई समुद्रतल से लगभग 7816 मीटर है। जैसे-जैसे हम औली से आगे बढ़ते हैं एक से बढ़कर सुंदर बुग्याल (स्थानीय शब्द) देखने को मिलते हैं। बुग्याल यानी घास के मैदान। ये ऐसे बुग्याल हैं, जो ढलानों पर स्थित हैं। इन्हीं बुग्यालों की वजह से औली को विश्वस्तरीय स्तर का स्कीइंग डेस्टिनेशन माना जाता है।
स्नो पैकिंग मशीन और स्नो बीटर की सहायता से इन ढलानों को नियमित रूप से समतल किया जाता है। यहां के पहाड़ साल में अधिकतर समय बर्फ से ढके रहते हैं। यदि आप स्कीइंग के शौकीन नहीं हैं तो आपको गर्मियों में प्राकृतिक सुंदरता देखने आना चाहिए। एक से बढ़कर एक सुंदर बुग्याल देख कर आपका मन कहेगा कि और आगे बढ़े। आप चाहें तो औली में रोपवे का आनंद भी उठा सकते हैं। इस रोपवे की खास बात यह है कि चार किलोमीटर लंबा है और दुनिया के सबसे ऊंचे और लंबे रोपवे में से यह भी एक है। एडेंचर पार्क में आपने अब तक हवा में कलाबाजियां की होंगी। मगर प्रकृति के इस अद्भतु नजारे के साथ हवा में तैरती चेयर कार अलग ही रोमांच लाती है। यहां एक हनुमान मंदिर भी है, इसके बारे में कहा जाता है संजीवनी लाते हुए इन्होंने यहां कुछ देर विश्राम किया था। और भी कई धार्मिक कारणों से पहले औली को जाना जाता है, पर सच्चाई यही है अब यह एक पर्यटक स्थल है।
औली के प्वॉइंट 10 के बाद आप ट्रेकिंग का आनंद ले सकते हैं। आप चाहें तो आप सीधे रोपवे से जोशीमठ से प्वॉइंट 10 तक पहुंच सकते हैं। यहां से गुरसौं बुग्याल की ट्रेकिंंग की जाती है। प्वॉइंट10 समुद्रतल से करीब 3100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। प्वॉइंट 10 से आगे बढ़ने पर आप जंगल की ओर बढ़ते हैं, जहां कुछ दूरी पर पडियार देवता का मंदिर है। अगर आप बिना गाइड के आगे बढ़ रहे हैं तो स्थिति का सही जायजा हो इसके लिए लैंडमार्क के रूप मंदिर की स्थिति को ध्यान रखना चाहिए। थोड़ी ही दूरी के बाद जंगल खत्म होते ही शुरू होते हैं बेहद खूबसूरत बुग्याल। ँ्रपहले गुरसौं फिर ताली और बाद में चित्रकंठा। इन सभी बुग्यालों की अपनी विशेषता है।
स्की ट्रेनिंग
गढ़वाल मंडल विकास निगम ने यहां स्की सिखाने की व्यवस्था की है। मंडल द्वारा सात दिन की नॉन-सर्टिफिकेट और 14 दिन की सर्टिफिकेट ट्रेनिंग दी जाती है। यह ट्रेनिंग हर वर्ष जनवरी-मार्च में दी जाती है। अधिक जानकारी के लिए इनकी वेबसाइट से संपर्क किया जा सकता है-http://www.gmvnl.in/newgmvn/sports/courseprogramme.aspx#snowskiing
यहां के कुछ अन्य रिजॉर्ट स्कीइंग के अलावा रॉक क्लाइम्बिंग, फोरेस्ट कैम्पिंग और घोडे़ की सवारी आदि के लिए व्यवस्था करते हैं।
कैसे जाएं:
करीबी रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है और हवाई अड्डा देहरादून का जॉली ग्रांट।
सड़क मार्ग: ऋषिकेश से औली पहुंचने में 8 से 9 घंटे का समय लगता है। ऋषिकेश से औली की दूरी लगभग 270 किलोमीटर है। ऋषिकेश-देवप्रयाग-श्रीनगर-रुद्रप्रयाग-गौचर-कर्णप्रयाग-नंदप्रयाग-चमौली-पीपलकोटी-जोशीमठ-औली।
कब जाएं-
स्कीइंग और बर्फ के लिए दिसंबर से मार्च तक यहां जा सकते हैं। ध्यान रहे कि कभी-कभी तापमान शून्य से नीचे आ जाता है। जून में तापमान करीब 15 डिग्री रहता है।
रोपवे: जोशीमठ से औली तक रोपवे से भी पहुंच सकते हैं। रोपवे से औली पहुंचना सचमुच अलग ही अनुभव देता है। इसके लिए केबल कार से प्रति व्यक्ति 750 रुपए का खर्च आता है, वहीं चेयर लिफ्ट से 300 रुपए प्रति व्यक्ति।
कहां ठहरें:
यहां ठहरने के लिए गढ़वाल मंडल निगम रिजॉर्ट के अलावा कई अन्य ठहरने की व्यवस्था है।
क्या खाएं: औली, नंदा देवी के बेहद करीब है। यहां अधिकतर स्थानों पर शाकाहारी भोजन ही मिलता है।
क्या न भूलें: टोपी, मोजे, दस्ताने, मफलर, स्वेटर, विंड प्रूफ जैकेट, सनग्लासेज, गम बूट, टॉर्च आदि ले जाना ना भूलें।
कहां रुकें
दिल्ली से औली जाते समय रास्ते में रुद्रप्रयाग रुका जा सकता है। रूद्रप्रयाग से औली आगे पहुंचने के लिए साढे चार घंटे का समय लगता है।
लेख की सभी तस्वीरें गूगल से साभार
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