प्रकृति का आंचल मुनस्यारी
Pankaj Ghildiyal
जहां प्रकृति
अपने आंचल में अमूल्य पेड़-पौधों व अनेक जड़ी-बूटियों को छुपाए हुआ है। जो आयुर्वेद
चिकित्सकों के लिए किसी खजाने व रोगियों के लिए किसी वरदान से कम नहीं। जी हां हम
बात कर रहे मुनस्यारी की। जिसे उत्तराखंड के जिला पिथोरागढ़ में मनों प््राकृति ने
हाथों से बसाया हो।
यहां की बसावट को देख स्थानीय लोग मुनस्यारी के लिए सात संसार, एक
मुनस्यारी भी कहते सुनाई देते हैं। दरअसल मुनस्यारी एक विस्तृत क्षेत्र है जहां
शंखधुरा, नानासैंण, जैती, जल्थ,
सुरंगी, शर्मेली और गोड़ीपार जैसे छोटे छोटे गांव हैं, इन्हीं गावों के ठीक नीचे कल कल करती गौरी गंगा नदी बहती है
लोगों का मानना है कि इस नदी में गंधंक का पानी है इसलिए इसका जल किसी ओषिधि से कम
नहीं, जहां किसी भी तरह का चर्म रोग स्नान के बाद
छूमंतर हो जाता है।
यहां से
हिमालय की सफेद ऊंची चोटियों को साफ-साफ देखा जा सकता हैं। मौसम जब भी साफ व
सुहावना होता है तो उस समय इन खूबसूरत प्राकृतिक नजारों को देख पर्यटकों की आखेें
खुली की खुली रह जाती है क्योंकि बर्फली पहा़िड़यों पर धूप का पड़ना सचमुच एक मनमोहक
दृश्य होता है। इसके अलावा मुनस्यारी उगते व डूबते सूरज के सुंदर नजारे के लिए भी
मशहूर है। मुनस्यारी आए पर्यटक खलिया टाॅप पर ना जाएं ऐसा हो नहीं सकता, जहां पहुंचने के लिए एकदम सीधी चढ़ाई चढ़ने की हिम्मत भी
जुटानी होती है, लेकिन यहां पहुंचकर नजारा मन मस्तिष्क को असीम
शंाति देने वाला होता है। दरअसल मुनस्यारी ही वह जगह है जहां से पंचैली चोटियों को
साफतौर पर देखा जा सकता है,
ऐसा लगता है मानों ये चोटियां नहीं
बल्कि पांच चिमनियां हों। कहा जाता है कि पांडवों ने स्वर्ग की ओर बढ़ने से पहले
आखिर बार पंचैली में ही भोजन बनाया था।
तिकसेन बाजार
मुनस्यारी का अकेला बड़ा बाजार है जहां ठहरने से लेकर खाने-पीने व खरीदारी की
व्यवस्था है। दरअसल आप थल,
नाचनी, क्यूटी, तिजम होते हुए तिकसेन बाजाार
पहुंचते हैं जो मुनस्यारी के अंतगर्त ही आता है। तिकसेन बाजाार में शरीर को
गर्महाट देने वाली मशहूर पश्मीना ऊन व उससे बनी वस्तुएं खरीद सकते हैं। यहां इन
वस्तुओं की गुणवता पर भी सवाल नहीं उठया जा सकता क्योंकि लोग जो घर-घर में पाली गई
भेड़ो से ही ऊन प्राप्त करते हैं उन्हीं से वे स्वेटर, टोपी व शाॅल इत्यादि बनाते हैं, जो उनके लिए घर बैठे रोजगार का एक अच्छा साघन भी है।
मुनस्यारी
पहंुचने से करीब 5 किमी पहले कालामुनि डांडा
में एक प्रसिद्व मां दुर्गा मंदिर है। शर्मोली के रहने वाले केदार सिंह
नितवाल ने बताया कि श्मुनस्यारी बढ़ने से पहले कोई भी बस, टैक्सी या फिर कोई प्राइवेट वाहन ही क्यों न हो, वह आगे तब तक नहीं बढ़ता जब तक वे माता के सामने नतमस्तक नहीं होते। क्योंकि
ज्यादतर बस या ट्रैक्सी ड्राइवर सभी आसपास के गांव के रहने वाले हैं इसलिए मंदिर
आते ही अपने वाहन रोक लेते हैं और सचपूछो तो किसी को दशर्न में कोई हिचकिचाहाट
नहीं होती और लोगो के बीच धर्म की दीवार भी आड़े नहीं आती। इसके आलावा एक पुरानी
रीति भी अभी तक चली आ रही है कि इस मंदिर में दर्शन के बाद ही किसी दुल्हन को ग्रह
प्रवेश करवाया जाता है।श्
मुनस्यारी
में एक अन्य उल्का देवी के मंदिर में नवरात्रों के दौरान यहां बहुत बड़ा मेला लगता
है जिसे मिलकुटिया का मेला कहा जाता हैै, जहां
दूर दूर से लोग यहां पहुंचते हैं। नौ दिन तक यहां सिर्फ ढोल, दमो;पहाड़ी बाद्य यंत्रद्ध व नगाड़ों की भक्तिमय गूंज
सुनाई देती है।
2290मी.
बुरांस से घिरे इन जंगलों में न जाने कब आपके मनपसंद पक्षियों की चहचाहट सुनाई दे
जाए यहां जो पक्षी समान्यतः दिखाई देते हैं उनमें विस्लिंग थ्रस, वेगटेल, हाॅक कूकू, फाॅल्कोन और सर्पेंट ईगल आदि प्रमुख हैं। मुनस्यारी के जंगल
शेर, चीते, कस्तूरी
मृग और पर्वतीय भालू का भी घर कहा जाता है। एक ओर जहां गौरी घाटी ट्रेकिंग के लिए
स्वर्ग कही जाती है वहीं गौरीगंगा में राॅफ्टिंग के रोमांच को करीब से महसूस करने
का एक बढ़िया विकल्प है। इसके अलावा सर्दियों में यहां खलिया टाॅप और बेतुलीधार पर
पहुंच कर आपका स्कींइंग का शौक भी पूरा हो सकता है। मुनस्यारी से मिलम, नामीक,
रालम ग्लेशियर भी काफी नजदीक ही
हैं साथ में जोहार घाटी, जो गुजरे जमाने तिब्बती व्यापर का रूट हुआ करता था। आज इस रूट पर आगे
बढ़ने के लिए आपको पूर्व अनुमति लेनी होती, अगर
आप किसी प्रोफेशनल ट्रेक ग्रुप के साथ हैं तो वे अकसर पहले ही अनुमति ले कर रखते
हैं।
पहुंचने का
रूटः-
दिल्ली से
मुनस्यारी करीब 590 किमी दूर हैं, वहीं काठगोदाम से इसकी दूरी 314
किमी रह जाती है, जो कि यहां के लिए करीबी रेलवे स्टेशन भी है।
यहां से आगे के लिए आपको बस व टैक्सी असानी से मिल जाती हैं। पिथौरागढ़, के नैनी सैनी में एक छोटा सा हवाई अड्डा है। जो मुनस्यारी
से 250 किमी की दूरी पर है।
कहां ठहरें
कुमाऊ मंडल
विकास निगम के शानदार रेस्ट हाउस के अलावा यहां पी.डब्ल्यू डी की ओर से भी ठहरने
की व्यवस्था है। इसके अलावा यहंा कुछ प्राइवेट होटल भी हैं। जहां ठहरने की अच्छी
व्यवस्था है।
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