Village Tourism: Your weekend destination

Pankaj Ghildiyal
पौ फटते ही गांव में परिन्दों की चहचहाहट लिए मधुर आवाजें, हुक्का लिए चौपालों की बैठकें, लहलहाती फसलें, जोहड़ों में तैरती बत्तखें बरबस अपनी और खींच ही लेती है। यह मोहक नजारा मन-मस्तिष्क पर ग्रामीण आंचल की छाप छोड़ ही जाता है। जी हां यही तो है देश के छोटे-छोटे गावों का नजारा। पारंपरिक वीकएंड डेस्टिनेशन से हटकर टूरिस्ट, विलेज जाकर  ग्रामीण जनजीवन को महसूस कर सकते हैं। इनकी ओर न सिर्फ घरेलू, बल्कि विदेशी पर्यटक भी आकर्षित हो रहे हैं। जानते हैं विलेज टूरिज्म आपके लिए कैसे हो सकता है खास। 

लोग प्राकृति महौल से खुद को भी रिचार्ज के बारे में मन ही मन सोचते जरूर हैं।  देश के चुनिंदा गावों में ग्रामीण पर्यटन के लिए तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। हरियाणा जैसे राज्य ने हाईवे टूरिज्म के बाद रूरल टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए फार्म हाऊस टूरिज्म को विकसित करने की पहल की है, ताकि देशी और विदेशी पर्यटक राज्य की ग्रामीण जीवन शैली, रीति-रिवाजों और खेत-खलिहानों की झलक पाकर देश के एक अनूठे रंग से वाकिफ हो सकें। हरियाणा पर्यटन निगम ‘फार्म हॉलिडे’ और ‘विलेज सफारी’ पर्यटन की योजनाएं  शुरू की थीं।

इसके साथ ही एक और योजना ‘म्हारा गांव’ भी शुरू की गई, जो लोगों को हरियाणा की लोक संस्कृति से जोड़ने  बेहतरीन कोशिश है। सूरजकुंड में हर साल होने वाले मेला देशी-विदेशी पर्यटकों को ग्रामीण परिवेश की ओर भी आकर्षित करता है। यहीं वजह है कि जिले में अब विलेज दूरिज्म की संभावनाओं को तलाशा जा रहा है। इस कड़ी में पर्यटन विभाग कुछ चुनिंदा गांवों को विलेज टूरिज्म की तर्ज पर बढ़ावा देने का प्रयास कर रहा है।

गुड़गांव में सुरजीवन फार्म, द विलेज, बोटेनिक्स नेचर रिजॉर्ट, गोल्डन क्त्रीपर, गोल्डन ड्यून्स रिट्रीट, कल्कि मिस्टिक, द ग्रेट एस्केप, अनुग्रह वाटिका, हैल्थ फार्म एंड स्पा, प्रकृति फार्म, बन्नी खेरा फार्म आदि जगहें विकसित की हैं।  फरीदाबाद में प्रकृति फार्म, प्रोगेसिव फार्म, शील्मा फार्म, वाईएमसीए रुरल सेंटर जाकर ग्रामीण जीवन का लुत्फ उठा सकते हैं। इन जगहों पर पहुंचकर आप अपने सपनों के गांवों में होंगे।

ऐसी जगहों पर आपको प्रतिदिन प्रतिव्यक्ति के हिसाब से करीब 700 रुपए से लेकर 2000 रुपए तक खर्च करने पड़ेंगे। गुड़गांव, फरीदाबाद, रोहतक आदि जगहों पर जाकर आप ग्रामीण जीवन का लुत्फ ले  सकते हैं। मनोरंजन फार्म हाउस या गांव में रहने के दौरान आप इन एक्टिविटीज का आनंद ले सकते हैं। ग्रामीणों से सीधा संवाद, गांव का भ्रमण कर ग्रामीण जीवन के बारे में करीब से जान सकेंगे।

अगर आपने कभी बैलगाड़ी, घोड़ागाड़ी, ऊंट गाड़ी और ट्रैक्टर की सवारी नहीं की है तो गांव की गलियों में इनकी सवारी का लुत्फ जरूर उठाएं।  आपके घर में दूध पैकेट से आता होगा या दूधवाला दे जाता होगा, लेकिन गाय, भैंस का दूध खुद कभी आप ने दुहा है, अगर नहीं तो आप यहां दूध दुहना भी सीख सकते हैं। वहीं शावर के नीचे आप रोजाना स्नान करते होंगे, लेकिन टय़ूबवैल के नीचे स्नान करने का लुत्फ अलग ही मजा देगा।

्त्रिरकेट, वॉलीबाल, पंतगबाजी के अलावा आप यहां गिल्ली डंडा, कबड्डी, खो-खो, कुश्ती का भी लुत्फ उठा सकते हैं। शाम को आग किनारे बैठ कर या फिर गांव की चौपाल में ग्रामीणों के संग लोकगीतों और अंत्याक्षरी का आनंद लें।

कुछ विलेज टूरिज्म वेबसाइट्स
www.surjivan.com
www.himalayanvillage.com
www.kalkimysticfarms.com
www.botanix.in

कुछ प्रमुख स्थल जो विलेज टूरिज्म पर आधारित हैं

ज्योतिसर, कुरुक्षेत्र (हरियाणा)
ज्योतिसर, कुरुक्षेत्र से 12 किमी दूर स्थित एक गांव है।  यह गांव हिंदुओं के लिए पवित्र जगह है। ऐसा कहा जाता है कि हिंदुओं के पवित्र ग्रंथ भगवद गीता ज्योतिसर में में पूरी की गई थी। ज्योतिसर में कई प्रचीन मंदिर, स्नान घाट और प्राकृतिक झील है, जो इस जगह की खूबसूरती को बढ़ाती है। ज्योतिसर को ग्रामीण पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किया गया है। इसके अलावा भगुवाला (सहारनपुर, उत्तर प्रदेश), उत्तराखंड में जागेश्वर अल्मोड़ा और माना चमोली, पंजाब में राजसांसी (अमृतसर), हिमाचल प्रदेश में नग्गर (कुल्लू) और राजस्थान में नीमराणा (अलवर), समोदे (जयपुर), हल्दीघाटी (राजसमंद), बिहार में नेपुरा (नालंदा) आदि कुछ प्रमुख जगह हैं।

द विलेज
द विलेज हरियाणा टूरिज्म की एक ऐसी ही छोटी दुनिया है। दिल्ली से 180 किलोमीटर की दूरी पर शाहबाद में राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-1 के पास ही लगभग 100 एकड़ क्षेत्र में फैले इस ‘गांव’ में आपको सूर्यमुखी के फूल भी
दिख जाएंगे और गांव की हरियाली भी। हरियाली के बीच पक्षियों को निहारना भी मन को खूब भाएगा, गाय का ताजा दूध पीना भी और मछली पकड़ना भी। तरह-तरह के खेल की सुविधा तो उपलब्ध है ही, आप चाहें तो मेडिटेशन भी कर सकते हैं। हरियाणा में फार्म होलीडे का लुत्फ उठाना है तो ये गांव न केवल सस्ते हैं, बल्कि यहां असली भारत की तस्वीर भी देखने को मिलेगी।  खान-पान यहां आप अपना मनपसंद खाना खाने के अलावा अपनी मनमर्जी से पका भी सकते हैं। आप फार्म हाउस के खेतों में उगाई गई ताजी सब्जियों, फलों को अपने अनुसार तोड़ कर कुकिंग कर सकते हैं।

गोल्डेन ड्यून्स रिट्रीट
दिल्ली से सिर्फ 44 किमी की दूरी पर स्थित गुड़गांव का गांव चंदू आपका इंतजार रहा है। इसे गोल्डेन ड्यून्स का नाम दिया गया है।  झझ्झर की ओर जाने वाली सड़क पर सुल्तानपुर बर्ड संच्यूरी के पास स्थित इस गांव में आप ऐसा पल बिताकर रोमांचित हो जाएंगे। पर्यटकों को ग्रामीण परिवेश में घूमाने के उद्देश्य से हरियाणा टूरिज्म ने ऐसे कई गांव विकसित किये हैं, जिनमें से यह एक प्रमुख गांव है। इस प्रोजेक्ट को गोल्डेन ड्यून रिट्रीट नाम दिया गया है। 45 एकड़ में फैले इस गांव के लिए आपको यात्रा के एक सप्ताह पूर्व हरियाणा टूरिज्म से सम्पर्क करना होगा, जिनके माध्यम से आप यहां की बुकिंग करा सकते हैं।

डबचिक टूरिस्ट कॉम्प्लेक्स
दिल्ली से सिर्फ 92 किमी की दूरी पर स्थित है डबचिक टूरिस्ट कॉम्प्लेक्स। दिल्ली-आगरा हाइवे पर स्थित यह कॉम्प्लेक्स अपने एक से बढ़कर एक लजीज खानों के लिए टूरिस्टों को अपनी ओर खींचता है, वहीं एलिफैंट, कैमल, हॉर्स राइडिंग, यहां के बत्तख, यहां आने वालों को खूब आकर्षित करते हैं। यहां इंडियन, कांटिनेंटल और पंजाबी खाना भी है कॉम्प्लेक्स को एक महत्वपूर्ण कॉम्प्लेक्स बना देती हैं। बता रहे हैं। 25 एकड़ में फैले हरियाणा टूरिज्म के इस कॉम्प्लेक्स में खाने-पीने की व्यवस्था तो है ही, पेट्रॉल पम्प और गिफ्ट शॉप आदि भी है। यहां के लंच, डिनर और फास्ट फूड में कई आइटम खासे लोकप्रिय हैं। यहां का दाल मखनी, चीज बटर मसाला, बटर चिकन, चिली चिकन टूरिस्टों में काफी लोकप्रिय है।

सोहना -बारबेट रिसॉर्ट
हरियाणा टूरिज्म का यह बारबेट रिसॉर्ट अपनी अलग विशेषताओं के कारण पर्यटकों को आकर्षित करता है। दिल्ली (धौला कुंआ) से सिर्फ 56 किमी कीदूरी पर स्थित सोहना टूरिस्ट रिसॉर्ट ‘बारबेट’ जा सकते हैं। इतना ही
नहीं, अगर आप अलवर की ओर जा रहे हैं तो गुड़गांव से दमदमा लेक की ओर जाते हुए भी रास्ते में इस रिसॉर्ट को एन्जॉय कर सकते हैं।  यह रिसॉर्ट 18 एकड़ में फैला है, जहां रेस्तरां भी है, बार भी और मोटल भी। ठहरने के लिए कमरे भी हैं और वक्त बिताने के लिए बच्चों के लिए तरह-तरह के झूले और बड़ों के लिए घोड़े और ऊंट की सवारी की व्यवस्था भी है।




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