हौज खास: विलेज प्रकृति से घिरा एक आधुनिक गांव

पंकज घिल्डियाल 
हौज खास विलेज भले ही दिखने में एक छोटा सा नाम हो, लेकिन इसमें सबकुछ समाया हुआ है। शानदार गार्डन हैं तो खूबसूरत  झील भी, पुराना किला, रेस्तरां, ब्रांडेड कपड़ों के शोरूम के साथ ही आर्ट गैलरी व डियर पार्क वीकेंड को खास बनाता है।



दिल्ली की सबसे सुंदर जगहों में से एक है हौज खास विलेज। वीकेएंड में तो यहां की रौनक देखने लायक होती है। यहां की नाइट लाइफ भी काफी मशहूर है। अपने नए नवेले बैंड के साथ आए रितेश सिंह कहते हैं, ‘हौज खास विलेज की आबोहवा में ही क्रिएटिविटी है। यहां आकर आप खुद में खो जाइये, कोई रोक टोक करने वाला नहीं है। हम यहां पर आकर अपनी धुनों में मस्त हो जाते हैं। दरअसल यहां आने वालों में 90 फीसदी क्राउड यूथ होता है। यूथ को अपील करनी वाली हर गतिविधि यहां छा जाती है। और देखते ही देखते माहौल शानदार हो जाता है।

हौज खास विलेज किसी जमाने में जलाशय के किनारे बसी शानदार इमारतों के लिए जाना जाता था। यह शिक्षा का भी केंद्र हुआ करता था। हौज खास देश के ही नहीं विदेशी सैलनियों की मनपसंद सैरगाह है। क्या कुछ नहीं है यहां। खाने पीने के असंख्य फूड ज्वॉइंट से लेकर यहां की खास बनावट भी पर्यटकों को अपनी ओर खींचती  है। विदेशी सैलनियों का यहां के बारे में कहना है कि यह स्थान दिल्ली के सबसे खूबसूरत स्थानों में एक है। यहां सिर्फ एक बार आने की देर है। यहां चुंबकीय आकर्षण है जो आपको बार बार आने के लिए प्रेरित करेगा।

हौज खास पुरानी इमारतों ही आकर्षित नहीं करती, बल्कि खूबसूरत पार्क, पेड पौधे और हरियाली मन खुश कर देती है। यहां के बाजारों और रिहायशी इलाकों ने भी  हौज खास विलेज के बीच में अपनी अलग पहचान बनाई है। हौज यानी पानी का टैंक जिसके नाम पर इस जगह का नामकरण हुआ है वह काफी सिकुड़ चुका है पर यहां सुंदर फव्वारे और यहां की हरियाली आपको मोह लेंगी।

वो गांव जो 14वीं शताब्दी में संगीत का केंद्र हुआ करता था वह आज भी संगीत का केंद्र है पर चोला बदलकर। हौजखास का आधुनिकरण 1980 के दशक में  शुरू हुआ और उसके बाद से यह एक पर्यटक स्थल के रूप में लगातर  विकसित हो रहा है।

हौज खास विलेज का कॉम्प्लेक्स, सफदरजंग एंक्लेव, ग्रीन पार्क, साउथ एक्सटेंशन और ग्रेटर कैलाश से घिरा है। इसके पास में ही भारत के कुछ अति महत्वपूर्ण इंस्टीट्यूट हैं जैसे आईआईटी दिल्ली, आईआईएफटी, एनआईएफटी और एम्स।

ये पूरा इलाका दिल्ली के बेहतरीन रेस्तरां के लिए भी जाना जाता है और लोग यहां अपना वीकेंड बिताने आते हैं। मिया बेला, बारसूम, सोशल , रास्ता, मून शाइन, फोर्क यू  आदि कैसे ऐसे ठिकाने हैं जहां का फूड आपको यहां खींच लाता है। यूथ के पहली पसंद बनने के पीछे कई कारण बताते हैं। किसी को कोई खास डिश यहां खीच लाती है तो कोई एमबिंयस के लिए यहां पहुंचाता है। जहां किसी को रेस्तरां के पुराने जमाने के इंटीरियर पसंद है तो वहीं किसी को को म्युजिक भाता है। हौजखास विलेज में युवा हैंगआउट के लिए आते हैं।


हौज खास विलेज के प्रमुख आकर्षण

शाही कुंड- हौज खास शब्द का अर्थ है शाही कुंड। यह सीरी शहर में स्थित एक पानी का कुंड है। इसे अलाउद्दीन खिलजी के शासन काल में खोदा गया था। बाद में यह सूख गया। अब इसे इसे पुनर्जीवित किया गया है और कुंड तथा इसके आसपास के क्षेत्र को सुन्दरता से सजाया गया है।
मदरसा या इस्लामिक गोष्ठीगृह: इस संस्थान को 1352 ईस्वी में स्थापित किया गया था। उस समय यह शिक्षा का बड़ा केंद्र था। दुनिया में शिक्षण सुविधाओं के लिए यह मदरसा प्रसिद्ध था।

फिरोजशाह का मकबरा हौज: भारतीय-इस्लामिक वास्तुकला पद्धति से इसकी रचना हुई है। खास परिसर में स्थित तुगलक वंश के तृतीय शासक फिरोज शाह का मकबरा एक और प्रमुख आकर्षण है। इस संरचना के अन्दर फिरोज शाह, उनके पुत्र और उनके पौत्र की कब्रें हैं।

डियर पार्क : कॉम्पलैक्स में भीतर आते ही कुंड के समीप यह पार्क बनाया गया है। अच्छी तरह से देखभाल किये जाने वाले इस सुन्दर हरे-भरे पार्क में चित्तीदार हिरण, गिनी पिग, खरगोश और मोर देखे जा सकते हैं।
पर्यटन विभाग हर शाम हौज खास के इतिहास को बयान करता हुआ एक ऑडियो विजुउल शो  आयोजन करता है। यह कॉम्पलैक्स हर रोज विजिटर के लिये प्रात: 10 बजे से शाम 6 बजे तक खुला रहता है।

कैसे पहुंचे

हौज खास व  ग्रीन पार्क मेट्रो स्टेशन यहां के नजदीकी मेट्रो स्टेशन हैं। इसलिए यहां पहुंचना काफी आसान है। अपनी गाड़ी से भी यहां नेविगेशन की मदद से आसानी से पहुंच सकते हैं।


Comments

Popular posts from this blog

प्रकृति का आंचल मुनस्यारी

औली: जहां उत्सव है ठंड